प्रेरणार्थक क्रिया
निम्नलिखित वाक्यों में मोटे टाइप में
दी गई क्रियाएँ पढ़िए :
(1) शुभम कविता पड़ता है। माँ शुभम को कविता पढ़ाती है। माँ शिक्षिका
से शुभम को कविता पढ़वाती है।
(2) इशायु दूध पीता है। दादी इशायु को दूध पिलाती है। दादी इशायु को
नौकर से दूध पिलवाती है।
उपर्युक्त वाक्यों में पढ़ना और पीना क्रियाओं के दो-दो रूप है। मूल क्रियाएँ
पढ़ना और पीना है। उन्हीं से दूसरे
जब कर्ता स्वयं कार्य न करके किसी अन्य को कार्य करने के लिए प्रेरित करता है अथवा अन्य से कार्य करवाता है, तो वहाँ प्रेरणार्थक क्रिया होती है।
यहाँ पढ़ाना और पिलाना
प्रथम प्रेरणार्थक रूप हैं और पढ़वाना और पिलवाना द्वितीय प्रेरणार्थक रूप हैं।
प्रेरणार्थक क्रिया बनाने के नियम नीचे दिए गए हैं :
(1) मूल धातु के अंत में आ जोड़ने से प्रथम प्रेरणार्थक और वा जोड़ने से द्वितीय प्रेरणार्थक रूप बनता है।
मूल धातू | प्रथम प्रेरणार्थक | द्वितीयक प्रेरणार्थक |
---|---|---|
मिलना | मिलाना | मिळवाना |
लिखना | लिखाना | लिखवाना |
जलना | जलाना | जलवाना |
झुकना | झुकाना | झुकवाना |
चढना | चढाना | चढवाना |
उडना | उडाना | उडवाना |
गिरना | गिराना | गिरवाना |
मूल धातू | प्रथम प्रेरणार्थक | द्वितीयक प्रेरणार्थक |
---|---|---|
बनना | बनाना | बनवाना |
मरना | मारना | मरवाना |
सुनना | सुनाना | सुनवाना |
करना | कराना | करवाना |
पढना | पढाना | पढवाना |
चमकना | चमकाना | चमकवाना |
चलना | चलाना | चलवाना |
(2) दो अक्षरों की धातु में ए अथवा ओ को छोड़कर आदि का दीर्घ स्वर हस्व हो जाता है।
मूल धातू | प्रथम प्रेरणार्थक | द्वितीयक प्रेरणार्थक |
---|---|---|
जीतना | जिताना | जितवाना |
मानना | मनाना | मनवाना |
बोलना | बुलाना | बुलवाना |
भूलना | भुलाना | भुलवाना |
मूल धातू | प्रथम प्रेरणार्थक | द्वितीयक प्रेरणार्थक |
---|---|---|
डूबना | डुबाना | डुबवाना |
लुटना | लुटाना | लुटवाना |
सीखना | सिखाना | सिखवाना |
पीसना | पिसना | पिसवाना |
(3) एक अक्षरवाली धातु के अंत में ला और लवा लगाकर दीर्घ स्वर हस्व कर देने से प्रथम प्रेरणार्थक और द्वितीय प्रेरणार्थक रूप बनते हैं।
मूल धातू | प्रथम प्रेरणार्थक | द्वितीयक प्रेरणार्थक |
---|---|---|
छोड़ना | छुड़ाना | छुड़वाना |
रोना | रुलाना | रुलवाना |
देना | दिलाना | दिलवाना |
खेलना | खिलाना | खिलवाना |
(4) कुछ धातुओं के प्रथम प्रेरणार्थक रूप ला अथवा आ लगाने से बनते हैं, परंतु दद्वितीय प्रेरणार्थक रूप में वा लगाया जाता है।
मूल धातू | प्रथम प्रेरणार्थक | द्वितीयक प्रेरणार्थक |
---|---|---|
दिखना | दिखाना, दिखलाना | दिखवाना |
कहना | कहाना, कहलाना | कहलवाना |
सीखना | सिखाना, सिखलाना | सिखवाना |
बैठना | बिठना, बैठाना | बैठवाना |
सूचना : कुछ क्रियाएँ ऐसी भी होती हैं, जिनके प्रेरणार्थक रूप नहीं बनते।
जैसे - होना, आना, जाना, पाना, रहना, लजाना, सकना, चाहना, पछताना आदि।
जैसे - होना, आना, जाना, पाना, रहना, लजाना, सकना, चाहना, पछताना आदि।